>

उत्तराखंड संबंधी कुछ रोचक तथ्य - Interesting Facts About Uttrakhand

World Heritage Ramman Festival (Rammand Mela and Historical Mukhuta Nrithya of Eighth Century)

उत्तराखंड का प्राचीनतम मुखौटा नृत्य वा विश्व धरोहर रम्माण मेला
आठवीं शताब्दी से चला आ रहा रम्माण मेला जहाँ संपूर्ण रामायण का मंचन मुखौटा नृत्य द्वारा किया जाता है।इनमें पारंपरिक वाध्ययंत्रों ढोल-दमऊ द्वारा 18 तालों(18 प्रकार की धुनें जिनमें ढोल और दमाऊँ की मिश्रित धुनों) पर रामायण का मंचन होता है
यह परंपरा गढ़वाल क्षेत्र में आज भी उतनी ही लोकप्रिय है जितनी आदिगुरू शंकराचार्य द्वारा  शुरू की गई आठवीं सदीं के शुरुआती दौर में थी।
इसमें एक कलाकार श्री राम के जन्म से लेकर उनके रावण वध तक का एक मुखौटा पहनकर नृत्य  मंचन करता है। यह अपने आप में एक अनुठी और विशेष नृत्य कला है। इसमें वह सभी पात्र भी होते हैं जो की आमतौर पर रामलीला में भी होते हैं पर इसमें रामायण की तरह कलाकार बातों को नहीं समझाते हैं बल्कि जागर और मुखौटा नृत्य द्वारा इसका मंचन किया जाता है अपनी एक अलग ही पहचान रखने वाले इस मेले को विश्व धरोहरों में भी सम्मिलित किया गया है। इसमें सबसे पहले भूमियाल देवता का पशवा प्रकट होता है उसके बाद संपूर्ण 18 तालों पर जागर के साथ भगवान श्री राम के जन्म से रावण वध तक का संपूर्ण मंचन होता है जिसमें मुखौटा नृत्य प्रचलित है.
Ramman Festival of Uttarakhand
World Heritage Rammand Mela and Historical Mukhuta Nrithya of Eighth Century

 

RAMMAN FESTIVAL - UNESCO World Heritage Site

 

 

  • The “Ramman” festival, organized on Baisakhi in village Salud-Dungra of Chamoli district, is introducing the multicolored art and culture of Uttarakhand to the whole world.
  • In “Ramaan”, various episodes of Ramayana, a mythological and historical saga are performed through dance drama. UNESCO has declared “Ramman” a World Heritage Site, it is a matter of pride for all of us Uttarakhandis.
  • The “Ramaan” festival organized in Salud-Dungra village is related to the folk deity Bhumiyal of Uttarakhand.
  • Bhumiyal Devta is the god of justice. In Uttarakhand, there has been a tradition of conducting collective worship of the Bhumiyal deity during the harvesting period since mythological times. Even in Salud-Dungra village, before the “Raman” festival, the Bhumiyal deity is worshiped with full rituals in the families for three days.
  • Culture is from nature, along with protected nature, all citizens have to enrich the culture as well, only then the social life will be called developed and happy.

 

उत्तराखण्ड लेख


Contact Us
Copyright © uttrakhandcoldandcuttings.co.in 2019- All Rights Reserved
All Rights Reserved