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उत्तराखंड संबंधी कुछ रोचक तथ्य - Interesting Facts About Uttrakhand

उत्तराखंड का सबसे प्राचीनतम मंदिर, ओड़िशा के कोणार्क और उत्तराखंड के कटारमल सूर्य मंदिर से छहः शताब्दी प्राचीन सूर्या मंदिर आज जर्जर स्थिति में

UTTARAKHAND'S OLDEST ANCIENT TEMPLE, SIX CENTURY OLD FROM THE
KORNADAK TEMPLE OF ORRISA AND KATARMAL SUN TEMPLE OF UTTARAKHAND IN DILAPIDATED CONDITION
  • विडंबना कहें या सच विश्व के सबसे प्राचीनतम सूर्य मंदिरों में सम्मिलित टिहरी जिले का पलेठी सूर्य मंदिर आज खराब रखरखाव के कारण जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है।
  • उत्तराखंड में मौजूद सबसे प्राचीनतम शिलालेखों में से एक(कालसी, देहरादून के बाद उत्तराखंड का सबसे प्राचीनतम शिलालेख) आज जिर्ण स्थिति में है।
  • यह मंदिर लगभग साढ़े सात मीटर ऊंचा है जिसके साथ समूह के अन्य मंदिर भी मौजूद हैं इन समहों में श्री गणेश जी का मंदिर लगभग पूरी तरह से जिर्ण हो गया है जबकि यही हाल पार्वती माता मंदिर का भी है।
  • दिलचस्प बात यह है की मंदिर उत्तराखंड पुरातत्व विभाग के अधीन है जबकि मंदिर में देवी-देवाताओं की मूर्तियाँ खुले  में पड़ी हैं जोकि बेहद चौंकाने वाला दृश्य है।

 

आइए जानते हैं इस मंदिर की कुछ प्रमुख विशेषताएं 

 

  • यह मंदिर उत्तराखंड में उपस्थित सबसे प्राचीनतम मंदिर है, इतिहासकारों ने मंदिर में मिले लेखों के आधार पर इसका निर्माण काल 675 से 700 ईसवी के मध्य में माना है।
  • मंदिर में उपस्थित भगवान सूर्य की सवा एक मीटर ऊंची मूर्ति विरजमान है।
  • यहाँ कालसी (देहरादून) के बाद उत्तराखंड में उपस्थित सबसे प्राचीनतम शिलालेख मौजूद हैं यहाँ राजा कल्याण बर्मन और राजा आदि बर्मन के लेख मौजूद हैं जिन्हें उत्तर गुप्त ब्राह्मी लिपि में लिखा गया है जिसे इतिहासकार छटवीं शताब्दी की लिपि मानते हैं।
  • मंदिर फांसाण शैली का बना है जिसका प्रवेश द्वार पूर्वाभिमुखी हैं, जो कि अंग्रेज़ी के 'टी' आकार का बना हुआ है प्रवेश द्वार के ऊपर सात घोड़ों के रथ पर सवार भगवान सूर्यदेव की प्रतिमा विराजित है, कुछ इसी तरह के द्वार देवलगढ़ और नाचन मंदिरों में भी मौजूद हैं इससे इतिहासकार इस मंदिर की प्राचिनता गुप्तोत्तर काल मानते हैं।
  • यह मंदिर विश्व में उपस्थित बेहद कम सूर्य मंदिरों में से एक है गुजरात के पाटन में उपस्थित मोढेरा सूर्य मंदिर भी इसी शताब्दी का माना जाता है जब कि ओड़िशा का सुप्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर बारवीं शताब्दी के बीच का माना जाता है, उत्तराखंड के अलमोड़ा के कटारमल सूर्य मंदिर भी इसी शताब्दी के मध्य का माना जाता है।
UTTARAKHAND'S OLDEST ANCIENT TEMPLE, SIX CENTURY OLD FROM THE KORNADAK TEMPLE OF ORRISA AND KATARMAL SUN TEMPLE OF UTTARAKHAND IN DILAPIDATED CONDITION
UTTARAKHAND'S OLDEST ANCIENT TEMPLE, SIX CENTURY OLD FROM THE KORNADAK TEMPLE OF ORRISA AND KATARMAL SUN TEMPLE OF UTTARAKHAND IN DILAPIDATED CONDITION
  • The 'Sun Temple of Paleti' is located in the village of Paleti in Vangarh area, five km away from the Hindolakhal development block headquarters of Tehri district.
  • This temple is considered to be the oldest among all the other temples of Uttarakhand.
  • The writings of Raja Kalyan Burman and Adi Burman are still present on the rock board of the temple. Which are written in Uttara Gupta (Brahmi) script. 
  • This script is sixth-seventh. century was prevalent. On the basis of this, the time of construction of Paleti Sun Temple has been considered between 675 to 700 AD.
  • This temple is built in the Phansana style. Above the entrance of the temple sits a majestic stone statue of Suryadev riding on a chariot of seven horses.
  • The total height of this temple is 7.50 meters. The temple has two idols of Sun God, 1.2 meters high, made of stone.

 

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