जिस प्रकार अतीत में फोटोग्राफर मुयब्रिज को सरपट दौड़ते घोड़े की चाल की सही तस्वीर लेने के लिए सही उपकरण की आवश्यकता थी, उसी प्रकार भौतिकविदों को इलेक्ट्रॉनों की गति के सटीक अवलोकन के लिए एक सुपरफास्ट कैमरे की आवश्यकता थी। जैसा कि हम जानते हैं कि जब वस्तु बहुत तीव्र गति से गतिमान होती है तो वस्तु की इमेज (छवियाँ) धुंधली हो जाती हैं। हालाँकि, तेज़ स्ट्रोब लाइट से उस वस्तु को एक सेकंड से भी कम समय के के लिए दीप्त किया जा सकता है। और हम ऐसे चित्र ले सकते हैं जिनकी समय के साथ स्थिरता बनी रहती है। परमाणुओं और अणुओं के भीतर इलेक्ट्रोनों की गतिशीलता का अवलोकन करने के लिए हमे प्रकाश की एक तीव्र दीप्ति की आवश्यकता होती है। इस बार वर्ष 2023 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार, पियरे एगोस्टिनी, फ़ेरेन्क क्रॉस्ज़ और ऐनी एल'हुइलियर को दिए जाने की घोषणा हुई है और कहीं न कहीं इनकी खोज को सुपरफास्ट कैमरे को बनाने में इस्तमाल लाया जा सकता है। और परमाणुओं के भीतर इलेक्ट्रोनो के व्यहार एवम तीव्र गतिशीलता वाली सभी घटनाओं की तस्वीरें लेना संभव हो सकता है।
तीव्र गतिशीलता के अवलोकन के परिक्षण की शुरूआत मिश्र-अमेरिकी वैज्ञानिक अहमद हसन ज़ेवेल (26 फरवरी, 1946 - 2 अगस्त, 2016) ने किया था। इन्होंने सर्वप्रथम स्ट्रोब-लाइट का आविष्कार किया जो केवल दसियों और सैकड़ों फेमटोसेकंड (एक सेकंड के एक अरबवें का दस लाखवां हिस्सा) के समयावधि में दीप्त होती है। ज़ेवेल ने अपने शुरुवाती अध्यनों में पाया कि हाइड्रोजन परमाणुओं और कार्बन डाइऑक्साइड के बीच होने वाली रासायनिक प्रतिक्रियाएं: H + CO2 → CO + OH में एक मध्य अवस्था होती है जिसमे HOCO बनता है और CO + OH में विघटित होने से पहले यह 1000 फेमटोसेकंड तक बना रहता है। उनके इस फेमटोसेकंड में होने वाली रासायनिक प्रतिक्रियाओं के अध्यन एवम इसी के साथ फेमटोकेमिस्ट्री की स्थापना के लिए वर्ष 1999 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इससे यह स्पष्ट हुआ कि हम किसी उत्कृष्ट स्ट्रोब-प्रभाव के प्रयोग से केवल फेमटोसेकंड की एक पल्स प्राप्त कर सकते हैं, जो की अणुओं के बीच होने वाली रासायनिक प्रतिक्रियाओं को समझने के लिए सहायक होती है। जबकि देखा जाय तो हमें परमाणुओं और अणुओं के अंदर की रासायनिक प्रतिक्रियाओं का सटीक चित्रण करने के लिए फेमटोसेकंड की तुलना में एक हजार गुना छोटे पल्स की आवश्यकता होती है। किसी दृश्यमान प्रकाश की तरंगदैर्घ्य 400 नैनोमीटर (बैंगनी प्रकाश) से 700 नैनोमीटर (लाल प्रकाश) के बीच होती है। किसी एकल तरंग को उसके शीर्ष से गर्त तक और फिर शीर्ष तक जाने में 1.3 और 2.3 फेमटोसेकंड का समय लगता है। परन्तु इस समयावधि का अनंतिम स्पंदन भी इलेक्ट्रॉनों की तीव्र गतिशीलता एवम परमाणु के अंदर उसकी स्थिति का चित्रण करने के लिए उपयुक्त नही है।
एक नवाचार सोच!
क्या हम उन छोटी इकाइयों को माप सकते हैं जिन्हें सामान्य स्केल पर नहीं दर्शाया जा सकता है?
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि हमारे पास केवल 5-लीटर और 3-लीटर की माप वाले दो जार हैं और इन दोनों का ही उपयोग कर हम सरलता से एक लीटर पानी माप सकते हैं। आओ इसे क्रमश समझते हैं।
1. 3-लीटर के डिब्बे में पानी भरें।
2. 3-लीटर के डिब्बे से पानी 5-लीटर के डिब्बे में डालें।
3. 3-लीटर के डिब्बे को फिर से पानी से भरें।
4. 3-लीटर के डिब्बे से पानी को 5-लीटर के डिब्बे में तब तक डालें जब तक वह पूरा न भर जाए।
अभी भी हमारे पास 3 लीटर के डिब्बे में 1 लीटर पानी बचा है। और इस तरह एक लीटर पानी की माप का उद्देश्य पूरा हुआ बिना किसी एक लीटर की माप वाले जार की आवश्यकता के।
कुछ इसी तरह की सोच के साथ ऐनी एल'हुइलियर और उनकी टीम ने वर्तमान खोज के माध्यम से एक समाधान प्रस्तुत किया।
हम जानते हैं कि प्रकाश भी एक तरंग की तरह व्यवहार करता है। जब प्रकाश की दो तरंगे आपस में मिलती हैं तो कुछ नए परिणाम देखने को मिलते हैं। यदि दोनो तरंगों की तरंग दैर्ध्य समान है और एक का शीर्ष दूसरे के शीर्ष के साथ एक ही कला में हैं तो उस स्थिति में वे जुड़ते हैं और परिणामी तरंग का आयाम बढ़ जाता है। हालाँकि, यदि तरंग दैर्ध्य समान है और एक का शीर्ष दूसरे के गर्त से बिल्कुल मिलता है तो वे रद्द हो जाते हैं। और यदि दो आसमान तरंग दैर्ध्य वाली तरंगे मिलती हैं तो वे एक दूसरे पर अध्यारोपित होकर एक नई हाईब्रिड "संकर" तरंग बनाती हैं। वर्ष 1987 में ऐनी एल'हुइलियर और उनके सहयोगियों ने एक बड़ा दिलचस्प अवलोकन किया: जिस तरह एक बाध्ययंत्र "गिटार" के एक टूटे हुए तार से ओवरटोन उत्पन्न किया जा सकता है उसी प्रकार शक्तिशाली इन्फ्रारेड लेजर के माध्यम से कुछ उत्कृष्ट गैसों के परमाणुओं को उत्तेजित कर पराबैंगनी प्रकाश उत्पन्न किया जा सकता है, जिसका दोलन प्राथमिक लेजर की तुलना में कई गुना ज्यादा होता है।
ऐनी एल'हुइलियर और अन्य शोधार्थियों ने पाया कि प्राथमिक लेजर ने गैस के परमाणु से एक इलेक्ट्रॉन को थोड़ी देर के लिए अलग कर दिया है। हालाँकि! कुछ ही समय में एक तरंग का निरूपण करते हुए इलेक्ट्रॉन फिर परमाणु में लौट आया। इस घटना के दौरान परिणामी तरंगें हार्मोनिक ओवरटोन उत्पन्न करती है। इन ओवरटोन की आवृत्ति केवल दो या तीन गुना नहीं बल्कि तीस गुना तक अधिक होती है। निष्कर्षतः इन ओवरटोन का दोलन आपतित प्रकाश के दोलन की तुलना में अत्यधिक पाया गया। काफी गहन अन्वेषण के बाद इन वैज्ञानिकों को परिणामी ओवरटोन की आवृत्तियों की सटीक गणना करने में सफलता प्राप्त हुई। इसके दूसरे चरण में उन्होंने परणामी आवर्तियों को अधिचित्रित करने का कार्य किया और इसमें एक नई हाइब्रिड तरंग को जोड़ा गया।
जिस प्रकार एक ऑर्केस्ट्रा में विभिन्न वाद्ययंत्रों से संगीत के विभिन्न अंशो को मिलाकर एक नई स्वरलय बनाई जा सकती है। ठीक उसी प्रकार एल'हुइलियर और उनकी टीम ने बताया कि विभिन्न तरंग दैर्ध्य के प्रकाश तरंगों को मिलाकर हम वांछित समयावधि के प्रकाश-स्पंन्द प्राप्त कर सकते हैं।
कई वर्षों के शोध के बाद वर्ष 1990 के दशक में, एल'हुइलियर और उनके सहयोगियों ने प्रदर्शित किया कि व्यतिकरण प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न तरंग-दैर्ध्य की तरंगों को इस तरह जोड़ा जा सकता है कि उनके शीर्ष एक ही कला में हों और इस तरह हम बहुत छोटे प्रकाश स्पंद उत्पन्न कर सकते हैं। इस नई हाइब्रिड तरंग ने समपोषी व्यतिकरण को दर्शाते हुए एक नई भौतिक विज्ञान की शाखा को जन्म दिया जिसे हम एटोसेकंड भौतिकी के नाम से भी जानते हैं।
वर्ष 2001 में वैज्ञानिक एगोस्टिनी और उनकी टीम ने इन सभी अंशित स्पंदों को इस तरह संयोजित किया कि केवल 250 एटोसेकंड के समयांतराल में ही लगातार प्रकाश तरंगें स्पंदित हो सकें। इसी बीच दुसरे प्रमुख वैज्ञानिक फ़ेरेन्क क्रॉस्ज़ और उनकी टीम ने 650 एटोसेकंड तक चलने वाले एकल प्रकाश स्पंद को बिलगित करने में सफलता प्राप्त कर ली थी। दूसरी तरफ वर्ष 2001 में ही वैज्ञानिक एगोस्टिनी की टीम ने एक प्रकाश स्पंद का अवलोकन किया जो केवल 250 एटोसेकंड तक के समयांतराल का था। इसी शोध के अनुक्रम में वर्ष 2003 में, एल'हुइलियर के शोध समूह ने 170 एटोसेकंड समयांतराल का प्रकाश स्पंद एवम वर्ष 2008 में वैज्ञानिक फ़ेरेन्क क्राउज़ ने 80-एटोसेकंड समयांतराल की पल्स प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की। हाल में ही वैज्ञानिक जैकब वोर्नर एवम उनके शोध सहयोगियों ने समूह 43 एटोसेकंड के समयांतराल की पल्स को प्राप्त करने में सफलता हासिल कर ली है।